लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-2021 सुनहरा त्रिकोण
सुनहरे त्रिकोण में तेरह दिन
सुनाती हूंँ तुमको कहानी अपने यात्रा वृतांत की ,
सुनहरे त्रिकोण में खड़े हो खुद से बात की |
मेरी आंखों के आगे छाया था अंधेरा ,
चलचित्र सा चल रहा था व्यवहार मेरा |
श्मशान घाट दिखा था तब मुझको ,
जलाया गया था मेरे शरीर को |
यमराज लेने आए थे मुझे ,
गणों को भी साथ लाए अपने |
देवलोक, नरक लोक का भ्रमण कराया,
साम्राज्य दिखा, आग से मुझे डराया |
घर परिवार का जो हाल था मैंने देखा ,
उसे कभी नहीं कर सकती हूँ अनदेखा |
सारा परिवार शोक संतप्त था बड़ा ,
आश्चर्यचकित दिख रहा था खड़ा खड़ा |
कल तक जिंदा थी जो ठीक-ठाक ,
कैसे चली गई वह एकदम खटाक |
बॉडी कह कर मुझे जलाया गया ,
मोह माया का पर्दा दिल से हटाया |
शरीर मेरा सुप्त जमीन पर पड़ा था ,
बच्चें झगड़ने लगे जमीन जायदाद के लिए,
परिवार दिखा पैसे को लेकर लड़ता हुआ |
पंडित जी को फिर बुलवाया गया ,
कर्मकांड उनसे सारा करवाया गया |
सामान , मेहमानों की लिस्ट भी बनाई गई ,
गरुण पाठ घर में तब रखवाया गया |
समय नहीं था यहाँ अब किसी के पास ,
रिश्तेदार आए सिर्फ तब खास खास |
आंसू कुछ दिन में ही सबके सूख गए ,
मेरे अपने ही थे वो जो मुझे भूल गए |
तेरहवीं के दिन की होने लगी तैयारी,
घर वालों के काम पर जाने की आई बारी |
मोह मेरा भी अब तक छूट चुका था ,
मेरे पीछे सिर्फ अंधेरा खड़ा था |
सुनहरे दिन अब मुझे दिखने लगे थे,
13 दिन की यात्रा के वृतांत बड़े थे |
आत्मा मेरी भटकना और न चाहती,
सिर्फ तुझमें ही मैं समाना चाहती |
ईश्वर अब मुझको मोक्ष दे दो ,
अपनी शरण में मुझको ले लो |
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
02-Jan-2022 08:42 AM
Wah
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Swati chourasia
02-Jan-2022 08:08 AM
Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌👌
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Abhinav ji
31-Dec-2021 11:40 PM
Nice mam
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